जिस दिन, जुबाँ पे मेरी.. जिस दिन, जुबाँ पे मेरी, आए ना शिव का नाम
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
प्रगट shiv chalisa lyricsl उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके shiv chalisa lyricsl तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥